- Tripathi Gyanendra ( लखनऊ ): बिहार में लोकप्रियता का शिखर छूने के बाद राहुल गांधी की नजर अब यूपी पर है, यूपी के लिए गांधी ने जो रणनीति बनाई है, वह यूपी की तात्कालिक सियासत को बदल कर रख देगी। यह सियासत भाजपा को तो चुभेगी ही सपा प्रमुख अखिलेश के सामने भी चुनौती खड़ी करेगी, क्योंकि कांग्रेस सहारनपुर के सांसद इमरान मसूद को यूपी की बागडोर सौंपने जा रही है। हां, बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती के लिए राहुल का यूपी प्लान मुफीद हो सकता है क्योंकि कांग्रेस की नई रणनीति मुस्लिम दलित गठजोड़ पर टीवी है, और दलितों से जुड़ी कोई भी रणनीति तब तक सौ फीसद सफल नहीं हो सकती है जब तक बसपा प्रमुख सुश्री मायावती उसका हिस्सा न हों।
क्या है राहुल गांधी की यूपी रणनीति
राहुल गांधी यूपी की सियासत में दलित और मुस्लिम मतों के मजबूत गठजोड़ पर काम कर रहे हैं। राहुल को मालूम है कि मुसलमान कांग्रेस की ओर आशा भरी दृष्टि से देख रहा है। दलित का युवा वर्ग राहुल गांधी में केंद्रीय नेतृत्व देख रहा है। ये बात तमाम सर्वे और चुनाव परिणाम से साबित हो चुकी है। ऐसे में इसे पुश करने के लिए राहुल गांधी सबसे पहले यूपी का नेतृत्व बदलने जा रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से अजय राय को हटा सांसद इमरा मसूद को यूपी कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने जा रहे हैं। इमरान का नाम आते ही यह दो बातें साफ हो जाती हैं। पहली बात कि इमरान बसपा अर्थात सु श्री मायावती से गठबंधन करने के प्रबल पैरोकार हैं। दूसरी बात, इमरान मसूद प्रखर वक्ता और सपा से दो दो हाथ के लिए मुखर रहते हैं। कांग्रेस को इनमें से दोनों चाहिए। दलितों को एकजुट करने के लिए मायावती का साथ चाहिए। राहुल गांधी खुद कोई मौकों पर ऐसा बयान दे चुके हैं।
राहुल गांधी को सपा से दो दो हाथ करने वाला भी चाहिए, क्योंकि जब कांग्रेस दिल्ली में चुनाव लड़ती है तो अखिलेश केजरीवाल के साथ हो लेते हैं और जब पश्चिम बंगाल की बारी आती है तो ममता बनर्जी की हां में हां मिलाते हैं। वैसे भी सपा यूपी में कांग्रेस को अधिक से अधिक पचास सीट से अधिक देने को तैयार नहीं है, जबकि कांग्रेस डेढ़ सौ से कम पर लड़ने को तैयार नहीं है। वैसे भी जो रुझान हाल के दिनों में आए हैं वे दलित मुस्लिम गठजोड़ से ही कांग्रेस को कमबैक करते दिखाई रहे हैं। ऐसे में ये स्पष्ट है कि बसपा और कांग्रेस के वोटर जितनी आसानी से एक दूसरे के गले मिल सकते हैं उतनी आसानी से सपा और कांग्रेस के वोटर गले नहीं मिल सकते। राहुल गांधी इमरान मसूद को यूपी का अध्यक्ष बना देश के मुसलमानों के बीच यह साफ कर देना चाहते हैं कि मुसलमानों के प्रति कांग्रेस की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है। मुस्लिमों का सम्मान कांग्रेस में ही है। वरना सपा ने कब यूपी की बागडोर मुस्लिम के हाथ में दी है। भाजपा की तो बात ही छोड़ दीजिए।इमरान मसूद की ताजपोशी से यूपी में मुस्लिम समुदाय को खुद का नेतृत्व मिलेगा तो हाल में होने वाले बिहार चुनाव में भी मुस्लिमों के बीच में स्पष्ट संदेश जाएगा कि मुस्लिमों का सम्मान कांग्रेस में ही है।
प्रसंग भी गवाह! इमरान मसूद पर खेलेगी कांग्रेस
इमरान मसूद को यूपी कांग्रेस की बागडोर कब सौंपी जाएगी, इसपर तो कांग्रेस ही आधिकारिक रूप से कुछ कह सकती है, लेकिन हाल का एक प्रसंग भी इसपर मुहर लगाता है कि कांग्रेस इमरान मसूद को यूपी की बागडोर सौंपने जा रही है। प्रसंग है, सपा इमरान संवाद। सपा सांसद और अखिलेश यादव के भाई धर्मेंद्र यादव ने एक इंटरव्यू में इमरान मसूद को उनकी ताकत याद दिलाते हुए कहा था कि वो कौन होते हैं गठबंधन को लेकर फैसला लेने वाले, जिसके बाद इमरान ने राहुल गांधी के साथ तस्वीर शेयर की है। जिसे सपा के लिए बड़ा संदेश माना जा रहा है। साथ यह स्पष्ट हो गया है कि राहुल गांधी इमरान मसूद को वह ताकत देने जा रहे हैं, जिसके बाद इमरान कौन होते हैं का सवाल खत्म हो जाएगा।
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने राहुल गांधी के साथ तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया कि कांग्रेस लगातार यूपी में जमीनी स्तर पर काम कर रही है और पार्टी को मज़बूत बनाने में जुटी है। इस तस्वीर के कई मायने निकाले जा रहे हैं. राहुल गांधी के साथ उनकी फोटो कांग्रेस पार्टी में उनकी हैसियत दिखाने की एक कोशिश के तौर पर भी देखी जा सकती है. इमरान मसूद ने इसके साथ पोस्ट में लिखा- 'हम जमीनी स्तर से कांग्रेस को मजबूती देंगे, गांवों से लेकर बूथ तक, हर दिल तक पहुंचेंगे। ये संदेश राहुल गांधी की नई रणनीति का प्रमाण है।
इमरान मसूद ने यूं ही नहीं दिया ये बयान
दरअसल यूपी में कांग्रेस और सपा गठबंधन में तकरार उस वक्त शुरू हुई जब इमरान मसूद ने सपा के 80-17 वाले फॉर्मूले को मानने से इनकार कर दिया था। कांग्रेस पार्टी के ही एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए कहा कि कांग्रेस को किसी बैसाखी की जरूरत नहीं है। अब ये नहीं चलेगा कि सपा तय करे कि हम कौन सी सीट पर चुनाव लड़ेंगे। हम अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे। सपा से अगर कोई समझौता होता है तो वो बराबरी का होना चाहिए। कांग्रेस कौन सी सीट पर चुनाव लड़ेगी इसका फैसला हमारी पार्टी का नेतृत्व करेगा। इमरान मसूद के इस बयान पर समाजवादी पार्टी सांसद धर्मेन्द्र यादव ने तीखा पलटवार किया और उन्हें कांग्रेस में उनकी हैसियत याद दिलाते हुए कहा कि उन्हें कांग्रेस में इतनी शक्ति कब दे दी कि वो गठबंधन को लेकर फैसला ले। धर्मेंद्र यादव ने कहा कि मेरा मानना है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी इस तरह के फैसले ले सकते हैं। मुझे नहीं पता कि कांग्रेस ने इमरान मसूद को इस तरह के फैसले लेने की शक्ति कब दे दी।