अहमदाबाद के बाद केदारनाथ में हवाई दुर्घटना। सात लोगों सहित हेलिकॉप्टर क्रैश
मुम्बई में लोकल ट्रेन से नौ लोग गठरी की तरह गिरकर मर गए। सपनों को पंख देने निकले ढाई सौ से अधिक लोग अहमदाबाद में प्लेन के साथ ही काल के गाल में समा गए। धर्म यात्रा पर केदारनाथ से उड़ा प्लेन सभी यात्रियों के साथ क्रैश हो गया। इस दौरान हमारे शहर में आटो पर खरोंच तक की खबर नहीं आई। तो क्या ट्रेन, प्लेन और हेलीकॉप्टर से अधिक सुरक्षित आटो है। क्या दुर्घटना ट्रैन, प्लेन या हेलीकॉप्टर की नहीं हुई, सोच की हुई। हादसों में लोग नहीं, लोगों की समझ मरी, क्योंकि देश के गृहमंत्री अमित शाह का कहना है, दुर्घटनाओं को रोका नहीं जा सकता।मुम्बई में लोकल ट्रेन से नौ लोग गठरी की तरह गिरकर मर गए। सपनों को पंख देने निकले ढाई सौ से अधिक लोग अहमदाबाद में प्लेन के साथ ही काल के गाल में समा गए। धर्म यात्रा पर केदारनाथ से उड़ा प्लेन सभी यात्रियों के साथ क्रैश हो गया। इस दौरान हमारे शहर में आटो पर खरोंच तक की खबर नहीं आई। तो क्या ट्रेन, प्लेन और हेलीकॉप्टर से अधिक सुरक्षित आटो है। क्या दुर्घटना ट्रैन, प्लेन या हेलीकॉप्टर की नहीं हुई, सोच की हुई। हादसों में लोग नहीं, लोगों की समझ मरी, क्योंकि देश के गृहमंत्री अमित शाह का कहना है, दुर्घटनाओं को रोका नहीं जा सकता।
नमस्कार,
मैं हूं त्रिपाठी ज्ञानेन्द्र और आप देख रहे हैं पूर्वांचल टुडे। बात इस वीडियो से ही शुरू करते हैं। पहले वीडियो देख लीजिए।
ये वीडियो आज का नहीं है। सात जून का है। सड़क पर संघर्ष करता ये हेलीकॉप्टर आर्यन एविएशन कंपनी का था। सात जून को तकनीकी खराबी के कारण रुद्रप्रयाग में इस हेलिकॉप्टर को सड़क पर ही लैंडिंग करनी पड़ी थी। तब तकनीकी खराबी के चलते पायलट ने हेलीकाप्टर को बीच सड़क पर ही उतार दिया था और हेलीकॉप्टर के पीछे का हिस्सा कार पर गिरते ही टूट गया था। कार पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी। आज भी सात लोगों के साथ जो हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ है वह उसी आर्यन एविएशन कंपनी का है। सवाल उठता है कि जिस कंपनी का हेलीकॉप्टर सप्ताह भर पहले ही सड़क पर औंधे मुंह गिरा था उसी कंपनी के हेलीकॉप्टर को सात दिन के ही अंदर हवा में फिर से उड़ने की इजाजत किसने दी। क्या सात दिन पहले बीच सड़क दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर की जांच की गई थी। संबंधित कंपनी आर्यन को क्या सलाह और सजा दी गई थी।
मुझे मालूम है, मेरे इस सवाल का जवाब उत्तराखंड की सरकार नहीं देगी। आज हुए हादसे की जिम्मेदारी भी नहीं लेगी, क्योंकि पहले ही देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ये कह चुके हैं कि हमारे यहां पर इस्तीफे नहीं होते। देश के गृह मंत्री भी बता चुके हैं कि दुर्घटनाओं को रोका नहीं जा सकता। देखिए वीडियो
राजनाथ और अमित शाह की बात से स्पष्ट है कि न तो कोई जिम्मेदारी लेगा और न ही इन घटनाओं में हुई चूक को कोई स्वीकार करेगा। फिर ये सवाल उठता है कि तब अधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक ये बयान बाजी क्यों कर रहे हैं। मसलन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी। देखिए वीडियो
दरअसल, ये बयानबाजी महज इसलिए हो रही है कि जनता का ग़ुस्सा सरकार द्वारा संरक्षित निजी कंपनियों पर न फूटे, क्योंकि जनता का ग़ुस्सा अगर निजी कंपनियों पर फूटा तो सरकार और कंपनियों के व्यापारिक सांठगांठ का भंडाफोड़ हो जाएगा, क्योंकि सरकार को ये पता है कि उसे चंदा देने के लिए ठेके का पैसा पूरा नहीं पड़ता है। कंपनियां पैसे के लिए सबकुछ ताक पर रखती हैं और फिर खुद के लिए कमाई और सरकार के लिए चंदा रूपी मलाई का इंतजाम कर पाती हैं।
खराब मौसम के बावजूद हेलीकॉप्टर को उड़ान भरने की अनुमति देना इसी बात का प्रमाण है कि कंपनी को सिर्फ पैसा कमाना है। यात्रियों की जान से कोई लेना-देना नहीं है। बीते सालों में उत्तराखंड में हुए हादसों से यही बात उभर कर सामने आई है कि खराब मौसम के बावजूद एविएशन कंपनियां बेतरतीब उड़ान भरती हैं। हेलीकॉप्टर इस तरह से लगातार उड़ान भरते हैं जैसे शहरों में चलने वाले ऑटो हों । उत्तराखंड में अब तक हुए हेलीकाप्टर हादसों में से ज्यादातर हादसे केदारघाटी में हुए हैं और इसमें भी अधिकतर का कारण खराब मौसम रहा। केदारनाथ धाम के लिए गुप्तकाशी, फाटा, सिरसी सहित अन्य जगहों से 9 एवियेशन कंपनियां डेली उड़ान भरती हैं। इन सभी कंपनियों के हेलीकॉप्टर उड़ान के लिए रूट भी निर्धारित हैं, लेकिन ज्यादातर हेलीकॉप्टर ईंधन और समय बचाने के लिए निर्धारित ऊंचाई से नीचे उड़ान भरते हैं, नियम तोड़ते हैं, लोगों को मौत के घाट उतारते हैं। यहां तक कि गौरीकुंड और केदारनाथ के बीच संकरी घाटियों से होकर हेलीकॉप्टर जाते हैं, जबकि रामबाड़ा से आगे गरुड़चट्टी और केदारनाथ के बीच घाटी में धुंध होती है जिसके कारण विजिबिलिटी भी कम होती जाती है। फिर भी अवैध उड़ान को हरी झंडी मिलती रहती है। नतीजा आज जैसी दर्जनों दुर्घटनाएं हैं।