जाति गणना ज्वलंत मुद्दा, ठंडा कर निगलेगी भाजपा

जाति गणना ज्वलंत मुद्दा, ठंडा कर निगलेगी भाजपा

Tripathi Gyanendra ( लखनऊ ): याद कीजिए हरियाणा झारखंड का चुनाव। चुनाव की बेला में बोली जाने वाली जुबान। बंटेंगे तो कटेंगे, एक हैं तो सेफ हैं। बीजेपी के किस किस नेता ने इस महामंत्र का जाप नहीं किया। कार्यकर्ता से नेता तक। विधायक से सांसद तक। मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री तक । सड़क से संसद तक। सभी ने भरसक यही समझाने का प्रयास किया कि ये जो जाति की बात करने वाले हैं वे इस देश के बहुसंख्य हिंदू समाज के दुश्मन हैं। दुश्मन नंबर वन कौन? नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी। राहुल गांधी से संसद में जाति पूछी गई। राहुल गांधी की जाति पर सवाल उठाए गए। संसद में राहुल गांधी को एक तरह से गाली दी गई। अब जब जनगणना की डुगडुगी बज उठी है तो वे सभी लोग जन की गणना में जाति की रस्सी बांध कर उसे डमरू की तरह बजा रहे हैं, जैसे देश में जनगणना नहीं झूठगणना चल रही हो।

आज जनगणना में जाति गणना और जाति की गणना में सियासतदानों की भूमिका पर बात करेंगे। चर्चा में ग्रोक के फैक्ट को सामने रख सभी की कलई खोलेंगे। बात भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी के ताजा बयान से शुरू करते हैं। सुधांशु जी ने 1951 में जाति गणना को रोकने और काका कालेलकर  कमेटी की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालने का आरोप कांग्रेस पर लगाते हैं। सुधांशु जी उस 1951 की बात कर रहे हैं जिस काल के बहुत थोड़े से लोग बचे हैं। ये नहीं बता रहे हैं कि बीपी सिंह की सरकार कैसे गिरी और किसने गिराई। 1951 और काका कालेलकर कमेटी की रिपोर्ट को लेकर विपक्ष के रूप में भाजपा ने क्या किया, कुछ नहीं। 

आरक्षण के विरोध में भाजपा ने गिराई वीपी सिंह की सरकार 

जब अगस्त 1990 में वीपी सिंह सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला किया, जिसके तहत सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27% आरक्षण का प्रावधान था तब भाजपा ने इस फैसले का विरोध किया, क्योंकि उसे ऊंची जाति का वोटबैंक खिसकता दिख रहा था। तब भाजपा ने इसे वीपी सिंह की "वोट बैंक की राजनीति" करार दिया था। यही नहीं, छह साल अटल जी के और 11 साल मोदी जी के अर्थात सत्रह साल में भाजपा भी वही करती रही जो शेष वर्षों में इस देश में कांग्रेस ने किया। 

कांग्रेस ने शुरू कराया देश में जाति गणना

सच्चाई यह भी है कि जाति जनगणना के लिए स्वतंत्र भारत में अगर किसी ने प्रयास किया तो वह कांग्रेस ही है। भारत में जाति जनगणना की शुरुआत का श्रेय ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन को जाता है, विशेष रूप से 1871 की जनगणना के लिए, लेकिन स्वतंत्र भारत में पहला प्रयास 2011 में हुआ जिसका श्रेय कांग्रेस की ही नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को जाता है, जिसके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे। हां, राज्य स्तरीय पहल की बात करें तो यह बिहार में 2023 में हुआ, जिसका  श्रेय नीतीश कुमार को जाता है। 

राष्ट्रीय स्तर पर राहुल गांधी ने बनाया जाति गणना को मुद्दा 


जाति जनगणना को एक प्रमुख मुद्दा बनाने का काम राहुल गांधी ने ही किया, ये ज्वलंत सच है, जिसे भाजपा ठंडा करके निगलना चाहती है। राहुल गांधी ने 2022 के उदयपुर अधिवेशन और 2023 के रायपुर पूर्ण सत्र में जाति जनगणना को कांग्रेस की सामाजिक न्याय नीति का आधार बनाया। उन्होंने इसे "राष्ट्रीय एक्स-रे" के रूप में प्रस्तुत किया जो देश में सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को उजागर करने का एक उपकरण है। उन्होंने बार-बार जोर दिया कि जाति जनगणना केवल जातियों की गिनती नहीं है, बल्कि यह सामाजिक-आर्थिक और संस्थागत भागीदारी जैसे नौकरशाही, न्यायपालिका, और मीडिया में OBC, SC, ST की हिस्सेदारी  का विश्लेषण करने का एक तरीका है। राहुल गांधी ने लोकसभा में और भारत जोड़ो यात्रा जैसे सार्वजनिक मंचों पर जाति जनगणना की मांग को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने इसे सामाजिक न्याय के लिए एक अनिवार्य कदम बताया और 50% आरक्षण की सीमा को हटाने की वकालत की। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के घोषणा पत्र में जाति जनगणना और सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण का वादा शामिल था, जिसे राहुल गांधी ने अपनी रैलियों में प्रमुखता से उठाया। उन्होंने इसे "नए विकास प्रतिमान" का आधार बताया।

जाति के नाम पर बीजेपी ने क्या किया 


हरियाणा झारखंड का चुनाव याद कीजिए। चुनाव की बेला में बोली जाने वाली जुबान को याद कीजिए। बंटेंगे तो कटेंगे, एक हैं तो सेफ हैं, का नारा तो याद ही होगा। बीजेपी के किस किस नेता ने इस महामंत्र का जाप नहीं किया। कार्यकर्ता से नेता तक। विधायक से सांसद तक। मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री तक । सड़क से संसद तक। सभी ने भरसक यही समझाने का प्रयास किया कि ये जो दल जाति की बात करने वाले हैं वे इस देश के बहुसंख्य हिंदू समाज के दुश्मन हैं। दुश्मन नंबर वन नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी। राहुल गांधी से संसद में जाति पूछी गई। राहुल गांधी की जाति पर सवाल उठाए गए। संसद में राहुल गांधी को एक तरह से गाली दी गई। जब राहुल गांधी जाति गणना पर बोल रहे थे तब उनके बारे में कहा गया कि जिसे अपनी जाति पता नहीं है वह जाति गणना की बात कर रहा है। वीडियो भी देख लीजिए।


बावजूद इसके राहुल गांधी ने जो जवाब दिया कि आपकी गाली खुशी से लेंगे , लेकिन जाति गणना कराके रहेंगे। राहुल गांधी की जिद्द का परिणाम सामने है। जनगणना की अधिसूचना हो गई है। दरअसल भाजपा राहुल गांधी के संघर्ष को लोगों के दिमाग से वाश करने के लिए ही जाति गणना के मुद्दे को लटका रही है, भटका रही है। बीजेपी  को लगता है कि जब माहौल उसके अनुकूल तैयार हो जाएगा तो वह जाति गणना कराएगी, क्योंकि राहुल गांधी ने कहा था कि जाति गणना के बाद भारत में नए तरह की राजनीति शुरू होगी। बीजेपी को यही डर खाए जा रहा है कि जाति गणना के बाद देश में जो सियासत शुरू होगी उसमें वह दूर तक नहीं दिखेगी।

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