PT News ( नालंदा, बिहार ): डोनाल्ड ट्रंप ने 11 बार कहा है- मैंने नरेंद्र मोदी को सरेंडर करवा दिया, लेकिन नरेंद्र मोदी कुछ बोल ही नहीं पा रहे हैं। ये तक नहीं कह पा रहे कि ट्रंप ने झूठ कहा है, क्योंकि यही सच्चाई है.' शुक्रवार को बिहार दौरे पर पहुंचे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार कभी भी असली जातिगत जनगणना नहीं करवाएगी, क्योंकि जिस दिन इन्होंने असली जातिगत जनगणना कर ली, उस दिन इनकी राजनीति खत्म हो जाएगी।
बीजेपी माडल में बंद कमरों में तय हुए सवाल
राहुल गांधी ने कहा कि जातिगत जनगणना के दो मॉडल हैं- एक BJP वाला मॉडल और दूसरा तेलंगाना का मॉडल। BJP के मॉडल में बंद कमरे में अफसरों ने सवाल तय किए, जिनमें 90% का कोई नहीं था। जातिगत जनगणना में सबसे जरूरी ये है कि कौन से सवाल पूछे जा रहे हैं। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि हमने तेलंगाना में जनता से खुले तौर पर सवाल पूछे। हमने दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और उनके एसोसिएशन से कहा कि हम जातिगत जनगणना करवाने जा रहे हैं- आप कैसे सवाल चाहते हैं। राहुल गांधी ने कहा कि हमें हर वर्ग के लोगों ने अलग तरह के सवाल दिए। करीब 3 लाख लोगों ने खुली बैठकों में जातिगत जनगणना के सवाल तैयार किए हैं।
नरेन्द्र मोदी ओबीसी कैसे हो गए
राहुल गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी हर भाषण में कहते थे- मैं OBC हूं। फिर जातिगत जनगणना पर कहते हैं कि हिंदुस्तान में तो जाति ही नहीं है। अगर हिंदुस्तान में जाति नहीं है तो नरेंद्र मोदी कैसे OBC हो गए। राहुल गांधी ने कहा कि मेरा लक्ष्य है जातिगत जनगणना। मैंने लोकसभा में नरेंद्र मोदी के सामने आंख से आंख मिलाकर कहा था कि जातिगत जनगणना होगी। और आपको तो पता है उनको सरेंडर करने की आदत है। उन्होंने सरेंडर कर दिया।
देश के 90% लोग बहुत दर्द में हैं
राहुल गांधी ने कहा कि देश के 90% लोग बहुत दर्द में हैं। आपके हिस्से में सिर्फ दुख आ रहा है। बाकी आपकी कहीं भागीदारी नहीं है। मैं सच्चाई देखता हूं और मुझे ये सच्चाई दिख रही है। उन्होंने कहा कि इसलिए मुझे लगा कि पता लगाना चाहिए इसके पीछे की वजह क्या है- देश का X-ray करते हैं। 500 सबसे बड़ी कंपनियां हैं, लाखों-करोड़ रुपए उनका माफ होता है. इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट्स उन्हें मिलते हैं। उनमें एक भी दलित, OBC, आदिवासी का नाम नहीं मिलेगा। राहुल गांधी ने कहा कि पहले सरकारी अस्पताल होते थे, अब प्राइवेट अस्पताल हैं। पहले सरकार आपका इलाज करवाती थी, अब आपको लाखों रुपए देने पड़ते हैं। प्राइवेट अस्पतालों को सरकार आपकी जमीन देती है। बदले में आपको क्या मिलता है। प्राइवेट अस्पतालों के मालिकों की लिस्ट निकालो, एक आदिवासी, पिछड़ा, अति पिछड़ा का नाम नहीं मिलेगा। शिक्षा के सिस्टम में सारे के सारे स्कूल-कॉलेज प्राइवेटाइज हैं, उनके मालिकों की लिस्ट निकालो तो 90% में से कोई नहीं मिलेगा। ज्यूडिशरी और ब्यूरोक्रेसी में रिजर्वेशन है, लेकिन आपके लोग पीछे बंद कमरों में बैठे रहते हैं। जहां बजट की बात आती है, वहां 90% के लोग नहीं दिखते। बजट 11 अफसरों ने बनाया, उनमें 90% का कोई नहीं था। बड़े-बड़े मंत्रालयों में 90 में से 3 सेक्रेटरी पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के छोटे-छोटे विभागों में हैं।