लंच की मेज पर मुनीर के साथ पीएम मोदी को भी बैठाना चाहते थे ट्रंप

लंच की मेज पर मुनीर के साथ पीएम मोदी को भी बैठाना चाहते थे ट्रंप

Tripathi Gyanendra: ( लखनऊ  ): अमेरिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कथित मध्यस्थता से परेशान भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हाल ही में ट्रंप की फेंकी जाल में फंसने से बाल बाल बच गए। ट्रंप इस बार भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को और पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर को एक मेज पर बैठाकर विश्वगुरु बनने का एजेंडा सेट कर चुके थे। पाक के सेना प्रमुख असीम मुनीर को व्हाइट हाउस में दिया गया लंच इसी एजेंडे का हिस्सा था। 18 जून को ट्रंप द्वारा मोदी को किए गए फोन का कनेक्शन भी इस एजेंडे से जुड़ता है। यह और बात है कि एन वक्त पर नरेन्द्र मोदी के मना कर देने से ट्रंप का यह एजेंडा अधूरा रह गया और ट्रंप की जाल में फंसने से मोदी बाल बाल बच गए। फिर भी लंच पर दिए गए बयान में ट्रंप ने मोदी और मुनीर को एक मंच पर लाने का प्रयास किया।


दरअसल भारत के विशेष सचिव विक्रम मिस्री जब नरेन्द्र मोदी और ट्रंप की 35 मिनट की टेलिफोनिक वार्ता को प्रसारित कर रहे थे तो मेरे दिमाग में दो यक्ष प्रश्न कौंध रहे थे। पहला कि जिस बात मध्यस्थता की बात को एक दो बार नहीं चौदह बार डोनाल्ड ट्रंप कह चुके हैं उसी का खंडन सुनने के लिए वह मोदी से टेलिफोनिक आग्रह क्यों करेंगे, जैसा कि मिस्री ने बताया कि टेलिफोनिक बातचीत का आग्रह ट्रंप ने किया था और मोदी जी ने जमकर सुनाया था। दूसरा सवाल जो मुझे परेशान कर रहा था वह ये था कि ट्रंप ने अचानक मोदी को क्यों बुलाया, जिसे मिस्री जी न्योता बता रहे थे और मेन स्ट्रीम मीडिया उसे मोदी द्वारा ठुकरा देने की बात कह रहा था। इन दो सवालों को 18 जून की दो घटना से बल मिला। पहली घटना 17-18 जून की रात अचानक ट्रंप जी 7 समिट कनाडा को बीच में छोड़ अमेरिका लौट गए। इसके तुरंत बाद उन्होंने मोदी को फोन मिलाया। यह संयोग था या प्रयोग। इस सवाल को बल तब मिला जब खबर आई कि 18 जून को पाकिस्तान के सेना प्रमुख मुनीर को ट्रंप व्हाइट हाउस में लंच देंगे। इस खबर पर नज़र रखने से पता चला कि लंच भारत पाक के बीच हुए सीजफायर का एक सेलीब्रेशन था। इस तथ्य को खुद ट्रंप ने मीडिया से साझा किया। फिर सवाल उठा कि क्या इसी लंच के लिए ट्रंप ने मोदी जी को फोन कर न्योता दिया था। क्या ट्रंप इस लंच के जरिए मोदी और मुनीर को एक टेबल पर बैठाकर विश्वगुरु बनना चाहते थे कि जिससे नोबेल की दावेदारी मजबूत हो सके। मैंने अपने सभी सवालों और निष्कर्ष को उसी एआई पर परखने का निर्णय लिया जो ट्रंप के दोस्त एलन मस्क का है, और नाम है ग्रोक। ग्रोक से मैंने सवाल किया।

G7 समिट को बीच में छोड़ अमेरिका क्यों लौटे ट्रंप

ग्रोक ने जवाब दिया: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2025 में कनाडा में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन को बीच में छोड़कर वाशिंगटन लौटने का फैसला लिया, जिसकी मुख्य वजह मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव बताया गया। व्हाइट हाउस ने पुष्टि की कि ट्रंप मध्य पूर्व के हालात पर नियंत्रण रखने और महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देने के लिए लौटे। उन्होंने तेहरान के लोगों को तत्काल शहर खाली करने की चेतावनी भी दी, जिससे संकेत मिलता है कि अमेरिका इस संघर्ष में सक्रिय भूमिका निभाने की तैयारी कर सकता है। ट्रंप ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के उस दावे का खंडन किया कि वे सीजफायर के लिए लौट रहे हैं, और कहा कि उनकी वापसी का कारण "कहीं बड़ा" है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भू-राजनीतिक रणनीति और अमेरिका की "प्रो-इजरायल" नीति का हिस्सा हो सकता है, विशेष रूप से ईरान के परमाणु कार्यक्रम और इजरायल के हमलों के संदर्भ में। मैंने फिर सवाल किया।

 ट्रंप ने मुनीर को कब लंच दिया 

ग्रोक ने जवाब दिया: डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को 18 जून 2025 को व्हाइट हाउस में लंच के लिए आमंत्रित किया। यह मुलाकात भारत-पाक तनाव और इजरायल-ईरान संघर्ष के संदर्भ में हुई, जहां ट्रंप ने मुनीर की क्षेत्रीय शांति में भूमिका की सराहना की। मैंने फिर ग्रोक से सवाल किया। 

ट्रंप ने मोदी को कब फोन किया 

ग्रोक ने जवाब दिया: डोनाल्ड ट्रंप ने नरेंद्र मोदी को हाल के समय में दो बार फोन किया, जिनके विवरण निम्नलिखित हैं:

27 जनवरी 2025: ट्रंप ने मोदी को फोन किया, जो उनकी दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बातचीत थी। इस "उत्पादक" कॉल में दोनों नेताओं ने व्यापार, रक्षा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग को गहरा करने पर चर्चा की। ट्रंप ने भारत से अमेरिकी सुरक्षा उपकरणों की खरीद बढ़ाने और निष्पक्ष व्यापार संबंधों की ओर बढ़ने पर जोर दिया।

18 जून 2025: ट्रंप ने मोदी को फिर से फोन किया, जो 35 मिनट तक चली। इस बातचीत में मोदी ने "ऑपरेशन सिंदूर" और पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों पर चर्चा की। मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत ने पाकिस्तान के अनुरोध पर सैन्य कार्रवाई रोकी, न कि किसी अमेरिकी मध्यस्थता या व्यापार समझौते के कारण। उन्होंने यह भी कहा कि भारत कभी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा। इसके अतिरिक्त, कुछ स्रोतों के अनुसार, पहलगाम हमले के बाद 22 अप्रैल 2025 के आसपास ट्रंप ने मोदी को संवेदना व्यक्त करने के लिए फोन किया था, जब मोदी सऊदी अरब में थे। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि सीमित है। 18 जून 2025 की कॉल ट्रंप के G7 समिट को बीच में छोड़ने के बाद हुई, क्योंकि उनकी कनाडा में मोदी से मुलाकात नहीं हो पाई थी मैंने फिर ग्रोक से सवाल किया।

मुनीर को लंच कराने पर ट्रंप ने क्या कहा 

ग्रोक ने जवाब दिया: डोनाल्ड ट्रंप ने 18 जून 2025 को व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को लंच के दौरान क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में उनकी भूमिका की सराहना की। ट्रंप ने कहा कि मुनीर के साथ उनकी बातचीत "बेहद सकारात्मक" रही और दोनों ने भारत-पाक तनाव को कम करने, विशेष रूप से पहलगाम आतंकी हमले और भारत के "ऑपरेशन सिंदूर" के बाद की स्थिति पर चर्चा की। ट्रंप ने जोर देकर कहा कि "पाकिस्तान एक महत्वपूर्ण साझेदार है" और मुनीर की "जिम्मेदार नेतृत्व" ने क्षेत्र में शांति बनाए रखने में मदद की। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अमेरिका भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद को प्रोत्साहित करता है, हालांकि उन्होंने मध्यस्थता की बात से इनकार किया। ट्रंप ने मुनीर को "मजबूत और रणनीतिक" नेता बताया और भविष्य में सहयोग की उम्मीद जताई। मैंने अंत में ग्रोक से महत्वपूर्ण सवाल किया।

क्या 18 जून को ट्रंप पाकिस्तानी सेना प्रमुख मुनीर के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी लंच के मेज पर बैठाना चाहते थे

ग्रोक ने जो जवाब दिया उसे सुनकर आप दंग रह जाएंगे। ग्रोक ने न केवल मेरी आशंका को सत्यापित किया बल्कि ट्रंप के एजेंडे को खोल कर रख दिया। ग्रोक ने बताया, हां, उपलब्ध जानकारी के आधार पर डोनाल्ड ट्रंप ने 18 जून 2025 को व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के साथ लंच के दौरान भारत-पाक तनाव पर चर्चा की थी और इस संदर्भ में वह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी शामिल करना चाहते थे। ट्रंप ने G7 समिट (कनाडा, 16-17 जून 2025) में मोदी से मुलाकात की योजना बनाई थी, लेकिन समिट को बीच में छोड़कर लौटने के कारण यह संभव नहीं हो पाया। इसके बाद, ट्रंप ने उसी दिन (18 जून) मोदी को फोन किया, जिसमें पहलगाम आतंकी हमले और "ऑपरेशन सिंदूर" के बाद की स्थिति पर चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार, ट्रंप भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने के लिए दोनों पक्षों के साथ संवाद को प्रोत्साहित करना चाहते थे। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट रूप से मध्यस्थता की भूमिका से इनकार किया। उनकी मंशा मुनीर और मोदी को एक मंच पर लाकर क्षेत्रीय स्थिरता पर चर्चा करने की थी, लेकिन मोदी ने फोन कॉल में साफ किया कि भारत किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा। इस प्रकार, ट्रंप की ओर से दोनों नेताओं को एक साथ बैठाने की इच्छा थी, लेकिन यह केवल मुनीर के साथ लंच और मोदी के साथ फोन कॉल तक सीमित रही। 

ग्रोक के जवाब से यह स्पष्ट है कि ट्रंप ने 18 जून को जो काल की थी वह एक और मध्यस्थता के लिए ही की थी न कि 35 मिनट तक केवल और केवल मोदी जी को सुनने के लिए। यह और बात है कि इस हिस्से को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अपने बयान में स्पष्ट नहीं किया।

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